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भजन: श्री गोवर्धन महाराज तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ - Shri Govardhan Maharaj Tere Maathe Mukut Viraj Raheo

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श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज, तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ । तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े, तोपे चढ़े दूध की धार, ओ धार । तेरे माथे मुकुट... तेरी सात कोस की परिकम्मा, चकलेश्वर है विश्राम, ओ विश्राम । तेरे माथे मुकुट... तेरे गले में कंठा साज रेहेओ, ठोड़ी पे हीरा लाल, ओ लाल । तेरे माथे मुकुट... तेरे कानन कुंडल चमक रहेओ, तेरी झांकी बनी विशाल, ओ विशाल । तेरे माथे मुकुट... ।। गिरिराज धारण प्रभु तेरी शरण ।। Shree govardhan maharaj, o maharaj, tere maathe mukut viraj raheo. tope paan chadhe tope phool chadhe, tope chadhe doodh ki dhaar, o dhaar. tere maathe mukut... teri saat kos ki parikamma, chakaleshvar hai vishram, o vishram. tere maathe mukut... tere gale mein kantha saaj reheo, thodee pe heera laal, o laal. tere maathe mukut... tere kanan kundal chamak raheo, teri jhanki bani vishal, o vishal . tere maathe mukut... ।।  Giriraj Dharan Prabhu Teri Sharan ।।

हृदय परिवर्तन - Heart Change

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एक राजा को राज भोगते काफी समय हो गया था। बाल भी सफ़ेद होने लगे थे। एक दिन उसने अपने दरबार में उत्सव रखा और अपने गुरुदेव एवं मित्र देश के राजाओं को भी सादर आमन्त्रित किया। उत्सव को रोचक बनाने के लिए राज्य की सुप्रसिद्ध नर्तकी को भी बुलाया गया। राजा ने कुछ स्वर्ण मुद्रायें अपने गुरु जी को भी दीं, ताकि नर्तकी के अच्छे गीत व नृत्य पर वे उसे पुरस्कृत कर सकें। सारी रात नृत्य चलता रहा। ब्रह्म मुहूर्त की बेला आयी। नर्तकी ने देखा कि मेरा तबले वाला ऊँघ रहा है, उसको जगाने के लिए नर्तकी ने एक दोहा पढ़ा-  "बहु बीती, थोड़ी रही, पल पल गयी बिताई। एक पलक के कारने, ना कलंक लग जाए।।" अब इस दोहे का अलग-अलग व्यक्तियों ने अपने अनुरुप अर्थ निकाला। तबले वाला सतर्क होकर बजाने लगा। जब यह बात गुरु जी ने सुनी। गुरु जी ने सारी मोहरें उस नर्तकी के सामने फैंक दीं। वही दोहा नर्तकी ने फिर पढ़ा तो राजा की लड़की ने अपना नवलखा हार नर्तकी को भेंट कर दिया। उसने फिर वही दोहा दोहराया तो राजा के पुत्र युवराज ने अपना मुकट उतारकर नर्तकी को समर्पित कर दिया। नर्तकी फिर वही दोहा दोहराने लगी तो राजा ने कह

रक्षा-बंधन पर बहन से वादा - Promise to Sister on Raksha-Bandhan

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सुबह बहन जल्दी उठती है और घर के सारे कामों को खत्म कर अपने भैया को जगाती है। बहन -  भैया उठो ना, जल्दी से उठो ना, आज रक्षाबन्धन  है। आप जल्दी से तैयार हो जाओ, मै सबसे पहले आपको राखी बांधुगी। भाई - ठीक है। भाई तैयार हो जाता है और बहन पूजा की थाली, मिठाई और राखी लेकर आती है बहन -  भैया अपना दाहिना हाथ आगे बढाओ। भाई अपना हाथ आगे करके राखी बंधवा लेता है और जेब से निकालकर उसको एक खूबसूरत घड़ी देता है। ( जो उसने बहन के लिए एक दिन पहले ही खरीदी थी ) लेकिन बहन मना कर देती है फिर भाई अपने पर्स से कुछ पैसे निकाल कर देता है लेकिन बहन फिर वापस कर देती है। तब भाई पुछता है कि बताओ तुम्हे क्या चाहिए ? बहन -  जो मागुंगी वो दोगे ? भाई - हां दुंगा। बहन - पहले मुझसे वादा करो ? भाई - हां मैं पक्का वादा करता हूँ कि जो तू मांगेंगी वो मैं दुंगा। अब बोल तुझे क्या चाहिए ? बहन -  भैया आज रक्षाबन्धन के दिन आप मुझसे ये वादा करो कि आप आज से  मां और बहन की गालियां नहीं दोगे। इतना कहकर उसकी आंखों में आसूं आ जाते हैं। (बहन रोते हुए )  भैया हम लोगों ने आप लोगों का क्या बिगा

भजन: जय हो माँ अंजनी का लाला - Jai ho maa anjani ka lala laal salasar wale ho bhakto ke rakhwale

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लाल देह लाली लसय, हर धर लाल लंगूर बज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपिसुर जय हो माँ अंजनी का लाला, जय हो लाल लगोटे वाला प्रभु देह है तुम्हरी लाल, है झंडा लाल लाल सालासर वाले, हो भगतो के रखवाले बचपन से ही लाल रंग बजरंग, तुझे है भाया आसमान पर देखे सूरज, लाल लाल खाया लाल रंग है फल समझ के, तुम सूरज ही खा डाले प्रभु देह है तुम्हरी लाल, है झंडा लाल लाल मेंहदीपुर वाले, हो भगतो के रखवाले लाल लाल फल रावण की, बगिया का देख मुस्काये तहस नहस कर दिया बाग, अझय को मार गिराये और लाल लाल अग्नि से, लंका ही जला तुम डाले प्रभु देह है तुम्हरी लाल, है झंडा लाल तेरे है काम निराले, प्रभु सालापुर वाले लाल लाल सिंदूर सिया ने, तुमको तिलक लगाया सारा तन रंग लिया लाल, तुझको ईतना भाया लाल रंग को लेके उसदम, तन सारा ही रंग डाले प्रभु देह है तुम्हरी लाल, है झंडा लाल लाल बम्पापुर वाले, हो भगतो के रखवाले कर दे किरपा हनुमत बीरा, मै भी लाल हु तेरा तेरी भगती की लाली से, रंग जाये तन मन मेरा तेरी महिमा लख्खा गावै, श्री कांची धिवारी जावै प्रभु देह है तुम्हरी लाल, है झंडा ल

नोबेल पुरस्कार विजेता स्पेनिश कवि पाब्लो नेरुदा की कविता - Poem of Nobel laureate Spanish poet Pablo Neruda (You Start Dying Slowly)

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दोस्तों, आज हम एक बहुत ही अच्छी सी कविता बता रहे है जो जीवन का कड़वा सच है। यह कविता नोबेल पुरस्कार विजेता स्पेनिश कवि पाब्लो नेरुदा (Pablo Neruda) की कविता  "You Start Dying Slowly"  का हिन्दी अनुवाद है। आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप, करते नहीं कोई यात्रा, पढ़ते नहीं कोई किताब, सुनते नहीं जीवन की ध्वनियाँ, करते नहीं किसी की तारीफ़। आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, जब आप, मार डालते हैं अपना स्वाभिमान, नहीं करने देते मदद अपनी,  और न ही करते हैं मदद दूसरों की। आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप, बन जाते हैं गुलाम अपनी आदतों के,  चलते हैं रोज़ उन्हीं रोज़ वाले रास्तों पे, नहीं बदलते हैं अपना दैनिक नियम व्यवहार, नहीं पहनते हैं अलग-अलग रंग, या आप नहीं बात करते उनसे जो हैं अजनबी अनजान। आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप, नहीं महसूस करना चाहते आवेगों को,  और उनसे जुड़ी अशांत भावनाओं को,  वे जिनसे नम होती हों आपकी आँखें,  और करती हों तेज़ आपकी धड़कनों को। आप धीरे-धीरे मरने लगते हैं, अगर आप, नहीं बदल सकते हों अपनी ज़ि

क्यों होते हैं शादी कार्ड पर श्री गणेश विराजमान - Why is Shri Ganesh on marriage card?

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श्री गणेश पूजा अपने आप में बहुत ही महत्वपूर्ण व कल्याणकारी है। चाहे वह किसी कार्य की सफलता के लिए हो या फिर चाहे किसी कामनापूर्ति, स्त्री, पुत्र, पौत्र, धन, समृद्धि के लिए या फिर अचानक ही किसी संकट मे पड़े हुए दुखों के निवारण हेतु हो। जब कभी किसी व्यक्ति को किसी अनिष्ट की आशंका हो या उसे शारीरिक या आर्थिक कष्ट उठाने पड़ रहे हो तो ऐसे में उसे श्री गणेश की आराधना करने को कहा जाता है।  श्री गणेश को सभी दुखों को हरने वाला या दुखहर्ता माना गया है। श्री गणेश बुद्धि के देवता हैं। इसीलिए श्री गणेश प्रथम पूज्य है यानि हर शुभ कार्य में गणेशजी की पूजा सबसे पहले की जाती है क्योंकि उनके स्वरूप में अध्यात्म और जीवन के गहरे रहस्य छुपे हैं। जिनसे हम जीवन प्रबंधन के सफल सूत्र हासिल कर सकते हैं। इसी तरह श्री गणेश की छोटी आंखें मानव को जीवन में सूक्ष्म दृष्टि रखने की प्रेरणा देती हैं। उनकी बड़ी नाक (सूंड) दूर तक सूंघने में समर्थ है जो उनकी दूरदर्शिता को बताती है। जिसका अर्थ है कि उन्हें हर बात का ज्ञान है। श्री गणेश के दो दांत हैं एक पूर्ण व दूसरा अपूर्ण। पूर्ण दांत श्रद्धा का प्रतीक है तथ

हम रामकथा क्यों सुने ? Why do we listen Ram Katha?

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रामकथा सुंदर कर तारी। संसय बिहग उड़ावनिहारी॥ रामकथा कलि बिटप कुठारी। सादर सुनु गिरिराजकुमारी॥ भावार्थ :- श्री रामचन्द्रजी की कथा हाथ की सुंदर ताली है, जो संदेह रूपी पक्षियों को उड़ा देती है। फिर रामकथा कलियुग रूपी वृक्ष को काटने के लिए कुल्हाड़ी है। हे गिरिराजकुमारी! तुम इसे आदरपूर्वक सुनो॥ राम कथा और भगवान कथा की महिमा - बंधुओं, भगवान श्री राम ने कुछ ही जीवों का उद्धार किया होगा। हजारों, लाखों का। लेकिन भगवान श्री राम की कथा  तो आज भी करोड़ों लोगो का उद्धार कर रही है। राम कथा सुनो , कृष्ण कथा सुनो, हरी कथा सुनो, शिव कथा सुनो आपके जो भी इष्ट देव है उनकी कथा सुनों, क्योंकि इस धरती पर अगर वास्तव में कुछ सुनने के लिए है तो वो है सिर्फ भगवान की कथा। और जिसने सुनी हैं तो दोबारा सुनो। राम चरित्र को जीवन में धारण करने की कोशिश करो। यदि कोई कहे की हमने रामायण पढ़ ली हैं। देखिये तुलसीदास जी कितना सुंदर कह रहे हैं- राम चरित जे सुनत अघाहीं। रस बिसेष जाना तिन्ह नाहीं॥ जीवनमुक्त महामुनि जेऊ। हरि गुन सुनहिं निरंतर तेऊ॥ भावार्थ :- श्री रामजी के चरित्र सुनते-सुनते जो तृप्त हो जाते

माता पिता का सम्मान करने के 35 तरीके - 35 Simple ways to respect parents

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1. उनकी उपस्थिति में अपने फोन को दूर रखें।     Keep your phone away in their presence. 2. वे क्या कह रहे हैं इस पर ध्यान दें।     Focus on what they are saying. 3. उनकी राय स्वीकारें।     Accept their opinion. 4. उनकी बातचीत में सम्मिलित हों।     Join their conversation. 5. उन्हें सम्मान के साथ देखें।     See them with respect. 6. हमेशा उनकी प्रशंसा करें।     Always admire them. 7. उनको अच्छा समाचार जरूर बताएँ।     Tell them good news. 8. उनके साथ बुरा समाचार साझा करने से बचें।     Avoid sharing bad news with them. 9. उनके दोस्तों और प्रियजनों से अच्छी तरह से बोलें।     Speak well with their friends and loved ones. 10. उनके द्वारा किये गए अच्छे काम सदैव याद रखें।       Remember the good work done by them always. 11. वे यदि एक ही कहानी दोहरायें तो भी ऐसे सुनें जैसे पहली बार सुन रहे हो।       If they repeat the same story, then listen as if listening for the first time. 12. अतीत की दर्दनाक यादों को न दोहरायें।       Do not re

भजन: मेरी आखिओं के सामने ही रहना शेरों वाली जगदम्बे - Meri akhiyo ke samne hi rehna o shero wali jagdambe

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मेरी आखिओं के सामने ही रहना, माँ शेरों वाली जगदम्बे। हम तो चाकर मैया तेरे दरबार के, भूखे हैं हम तो मैया बस तेरे प्यार के॥ विनती हमारी भी अब करो मंज़ूर माँ, चरणों से हमको कभी करना ना दूर माँ॥ मुझे जान के अपना बालक सब भूल तू मेरी भुला देना, शेरों वाली जगदम्बे आँचल में मुझे छिपा लेना॥ तुम हो शिव जी की शक्ति मैया शेरों वाली। तुम हो दुर्गा हो अम्बे मैया तुम हो काली॥ बन के अमृत की धार सदा बहना, ओ शेरों वाली जगदम्बे॥ तेरे बालक को कभी माँ सबर आए, जहाँ देखूं माँ तू ही तू नज़र आये। मुझे इसके सीवे कुछ ना कहना, ओ शेरों वाली जगदम्बे॥ देदो शर्मा को भक्ति का दान मैया जी, लक्खा गाता रहे तेरा गुणगान मैया जी। है भजन तेरा भक्तो का गहना, ओ शेरों वाली जगदम्बे॥ Meri akhiyon ke samane hi rahna, maa shero wali jagdambe. ham to chakar maiya tere darbar ke, bhukhe hain ham to maiya bas tere pyaar ke. vinati hamari bhi ab karo manzoor maa, charano se hamko kabhi karna na door maa. mujhe jan ke apana balak sab bhul tu meri bhula dena,

भजन: ऐसे महाबली बली बजरंग को प्रणाम - Aise mahabali bali bajrang ko pranam

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लाल मुख विशाल लाल, लोचन है लाल लाल, लाल लाल मस्तक पे, तिलक लाल लाल है। हाथ में हैं सोटा, और कमर में लंगोटा लाल, लालो में लाल, मेरा अंजनी का लाल है॥ सिंदूरी बदन जिनका, जो जपते है राम नाम, ऐसे महाबली बली बली, बजरंग को प्रणाम। बल बुद्धि के हैं दाता, जो भक्तों में है महान, ऐसे महाबली... बली बजरंग को प्रणाम, बली बजरंग को प्रणाम, बली बजरंग बली बजरंग, बली बजरंग  को प्रणाम। ऐसे महाबली... पूछ लम्बी इनकी, अंग बलकारी है, लाल माँ अंजनी के, बाल ब्रम्हचारी है। श्री राम के चरणों में जिनका मन है सुबह शाम, ऐसे महाबली... संकट मोचन जो, संकट हरते हैं, महाबल के बल से, भूत प्रेत डरते हैं। वो कर दिखाया कोई भी जो कर सका न काम, ऐसे महाबली... मित्र जो अर्जुन के, और रघुनंदन के, लाये जब संजीवन, प्राण बचे लछमण के। ‘लक्खा’ जमाना ले रहा श्रद्धा से जिनका नाम, ऐसे महाबली... स्वर: लखबीर सिंह लक्खा Laal mukh vishal laal, lochan hai laal laal, laal laal mastak pe, tilak laal laal hai. hath mein hain sota, aur kamar mein langota laal, laalo mein laa

भजन: बजरंगी की पूजा से सब काम होता है - Bajrangi ki pooja se sab kaam hota hai

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राम सिया राम सिया राम सिया राम जय राम सिया राम सिया राम सिया राम जय राम सिया राम सिया राम सिया राम जय राम सिया राम सिया राम सिया राम जय बजरंगी की पूजा से सब काम होता है। हनुमान की पूजा से सब काम होता है। इनके दर्शन से ही बिगड़ा हर काम होता है.. बजरंगी की पूजा से... भजलो इन्हें मन से, गुणगान करो इनका । सिंदूर चढ़ाकरके, सम्मान करो इनका ॥ इनके दर आते दूर सभी अज्ञान होता है । इनके दर्शन से ही हर काम होता है.. बजरंगी की पूजा से... ये लाल रंग चाहे, लाली को अपनाये । अपनी कृपा हरदम, भक्तों पे बरसाये ॥ अरे! इनके ही दर पे भक्तों का मान होता है । इनके दर्शन से ही हर काम होता है.. हनुमान की पूजा से... जहाँ राम का साँ होती है, वही बजरंगी रहते है । श्री राम नाम का जाप, सदा बजरंगी जपते है ॥ श्री राम चरण में हरदम इनका ध्यान होता है । इनके दर्शन से ही हर काम होता है.. बजरंगी की पूजा से... राम सिया राम सिया राम सिया राम जय राम सिया राम सिया राम सिया राम जय राम सिया राम सिया राम सिया राम जय राम सिया राम सिया राम सिया राम जय स्वर: लखबीर

भजन: बजरंग बाला जपूँ थारी माला - Bajrang bala japu thari mala

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बजरंग बाला जपूँ थारी माला, रामदूत हनुमान, भरोसो भारी है... भारी है प्रभु भारी है, महिमा तेरी न्यारी है, बजरंग बाला जपूँ थारी माला, रामदूत हनुमान, भरोसो भारी है... लाल लंगोटो वालो तू, अंजनी माँ को लालो तू, राम नाम मतवालो तू, भगतां को रखवालो तू, सालासर तेरा भवन बना है, मेहंदीपुर तेरा भवन बना है, सुन ले पवन कुमार, भरोसो भारी है, बजरंग बाला जपूँ थारी माला, रामदूत हनुमान, भरोसो भारी है... शक्ति लक्ष्मण के लागि, पल माहि मूर्छा आगि, द्रोणगिरि पर्वत ल्यायो, सांचो है तू अनुरागी, घोल संजीवन लखन पिलाये - २, जागे वीर महान, भरोसो भारी है, बजरंग बाला जपूँ थारी माला, रामदूत हनुमान, भरोसो भारी है... तूने लंका जारी रे, मारे अत्याचारी रे, हुकुम के तावेदारी रे, बालजति ब्रम्हचारी रे, अहिरावण की भुजा उखाड़ी - २, ल्यायो तू भगवान्, भरोसो भारी है, बजरंग बाला जपूँ थारी माला, रामदूत हनुमान, भरोसो भारी है... बड़े बड़े कारज सारे, दुष्टों को दलने वाले, सच्ची भगति के बल से घट में राम दिखा डाले, चीर कलेजा तू दिखलाया - २, मगन भये भगवान्, भरोसो भारी है, बजरं

भजन: मेरी सुनलो मारुति नंदन काटो मेरे दुख के बंधन - Meri sunlo maruti nandan kato mere dukh ke bandhan

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मेरी सुनलो मारुति नंदन, काटो मेरे दुख के बंधन हे महावीर बजरंगी, तुम्हे कहते है दुख भंजन मेरी सुनलो मारुति नंदन, काटो मेरे दुख के बंधन हे महावीर बजरंगी, तुम्हे कहते है दुख भंजन मुझ पर भी करुणा करना, मैं आया शरण तुम्हारी मैं जोड़े हाथ खड़ा हूँ, तेरे दर का बना भिखारी तुम सबसे बड़े भंडारी, मैं पानी तुम हो चंदन हे महावीर बजरंगी, तुम्हे कहते है दुख भंजन मेरी सुनलो मारुति नंदन, काटो मेरे दुख के बंधन हे महावीर बजरंगी, तुम्हे कहते है दुख भंजन तेरा नाम बड़ा दुनिया में, सब तेरा ही गुण गाये,  इस जग के सब नर नारी, चरणों में शीश नवाए, कर भाव से पार मुझे भी, हे बाबा संकट मोचन,  हे महावीर बजरंगी, तुम्हे कहते है दुख भंजन मेरी सुनलो मारुति नंदन, काटो मेरे दुख के बंधन हे महावीर बजरंगी, तुम्हे कहते है दुख भंजन मैने तेरी आस लगाई, बाबा हनुमान गुसा जब भीड़ पड़ी भक्तो पे, तूने ही करी सहाइ वीरान करे है दुहाई, प्रभु दीजो मोहे दर्शन हे महावीर बजरंगी, तुम्हे कहते है दुख भंजन मेरी सुनलो मारुति नंदन, काटो मेरे दुख के बंधन हे महावीर बजरंगी, तुम्हे कहते है दु

भजन: माँ अंजनी के लाल थोडा ध्यान दीजिये - Maa anjani ke lal thora dhyan dijiye

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माँ अंजनी के लाल,थोडा ध्यान दीजिये, दे ध्यान दीनन दास का कल्याण कीजिये, रहते सदा आप राम नाम में मगन, कहते लगी है आपको श्री राम की लगन, हमको भी भाव भगती का ध्यान दीजिये, दे ध्यान दीनन दास... पार होगा वही जिसे पकड़ेंगे राम, जिसे छोड़ो गये पल भर में डूब जायेगा, परों मैं बांद घुंगरू, करतल हाथ ले, कीर्तन मैं आप नाचते भगतो को साथ ले, हम को एक बार अपने साथ लीजिये, दे ध्यान दीनन दास... सेवा करूँगा आप के गुणगान करूँगा, मैं आप के आराध्य भी ध्यान दूंगा, नंदू करो भजन हमे सुर ताल दीजिये, दे ध्यान दीनन दास... Maan anjanee ke laal,thoda dhyaan deejiye, de dhyaan deenan daas ka kalyaan keejiye, rahate sada aap raam naam mein magan, kahate lagee hai aapako shree raam kee lagan, hamako bhee bhaav bhagatee ka dhyaan deejiye, de dhyaan deenan daas... paar hoga vahee jise pakadenge raam, jise chhodo gaye pal bhar mein doob jaayega, paron main baand ghungaroo, karatal haath le, keertan main aap naachate bhagato ko saath le, ham ko e

भजन: कभी फुर्सत हो तो बजरंगी निर्धन के घर भी आ जाना - Kabhi fursat ho to bajrangi nirdhan ke ghar bhi aa jana

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कभी फुर्सत हो तो बजरंगी, निर्धन के घर भी आ जाना । जो रूखा सूखा दिया हमें, कभी उस का भोग लगा जाना ।। ना चोला चढ़ा सका चाँदी का, ना चादर घर मेरे राम लिखी । ना पेडे बर्फी मेवा बाबा, बस श्रद्धा है नैन बिछाए खड़े ।। इस श्रद्धा की रख लो लाज प्रभु, इस विनती को ना ठुकरा जाना । जो रूखा सूखा दिया हमें, कभी उस का भोग लगा जाना ।। जिस घर के दिए मे तेल नहीं, वहां जोत जगाओं कैसे । मेरा खुद ही बिशोना डरती प्रभु, तेरी चोंकी लगाऊं मै कैसे ।। जहाँ मै बैठा वही बैठ प्रभु, बच्चों का दिल बहला जाना । जो रूखा सूखा दिया हमें, कभी उस का भोग लगा जाना ।। तू भाग्य बनाने वाला है, और मै तकदीर का मारा हूँ । हे दाता संभाल भिकारी को, आखिर तेरी आँख का तारा हूँ ।। मै दोषी तू निर्दोष प्रभु, मेरे दोषों को तूं भुला जाना । जो रूखा सूखा दिया हमें, कभी उस का भोग लगा जाना ।। स्वर: कुंवर दीपक kabhi fursat ho to bajarangi, nirdhan ke ghar bhi aa jana jo rukha sukha diya hamen, kabhi us ka bhog laga jana na chola chadha saka chandi ka, na chadar ghar mere ram likhi na pede barph

भजन: अरे ओ अंजनी के लाला मुझे तेरा एक सहारा - Are o anjani ke lala mujhe tera ak sahara

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अरे ओ अंजनी के लाला, मुझे तेरा एक सहारा ॥ अब अपनी शरण में ले ले, मैं बालक हुँ दुखियारा माथे पर तिलक विशाला, कानों में सुंदर बाला थारै गले राम की माला, ओ लाल लंगोटे वाला थारा रूप जगत से न्यारा, लगता है सबको प्यारा प्रभु सालासर के माँही, थारो मंदिर है अति भारी नित दुर दुर से आवै, थारै दर्शन को नर नारी जो ल्यावै घ्रत सिंदुरा, पा ज्यावै वो फल पुरा सीता का हरण हुआ तो, श्री राम पे विपदा आई तुम जा पहुंचे गढ़ लंका, माता की खबर लगाई वानर मिल कर सब बोले, तेरे नाम की जय जय कारा जब शक्ति बाण लगा तो, लक्ष्मण जी को मुर्छा आई वानर सेना घबराई, तब रोये राम रघुराई तुम लाय संजीवन दीन्हा, लक्ष्मणजी के प्राण उबारा बीच भंवर के माँही, मेरी नाव हिलोरें खाती नहीं होता तेरा सहारा, तो कब की डुब ये जाती अब दे दो इसे किनारा, प्रभु बनकर खेवनहारा स्वर: लखबीर सिंह लक्खा Are o anjani ke lala, mujhe tera ak sahara . ab apni sharan mein le le, main balak hun dukhiyara mathe par tilak vishala, kanon mein sundar bala thare gale ram ki mala, o laal langote va

भजन: संकट हरने वाले को हनुमान कहते हैं - Sankat harne wale ko hanuman kahte hain

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दुनिया रचने वाले को भगवान कहते हैं, और संकट हरने वाले को हनुमान कहते हैं। हो जाते है जिसके अपने पराये, हनुमान उसको कंठ लगाये। जब रूठ जाये संसार सारा, बजरंगबली तब देते सहारा। अपने भक्तो का बजरंगी मान करते है, संकट हरने वाले को हनुमान कहते हैं॥ दुनिया में काम कोई ऐसा नहीं है, हनुमान के जो बस में नहीं है। जो चीज मांगो, पल में मिलेगी, झोली ये खाली खुशियों से भरेगी। सच्चे मन से जो भी इनका ध्यान करते हैं, संकट हरने वाले को हनुमान कहते हैं॥ कट जाये संकट इनकी शरण में, बैठ के देखो बजरंग के चरण में। ‘लख्खा’ की बातों को झूठ मत मानो, फिर ना फंसोगे जीवन मरण में। इनके सीने में हरदम सिया राम रहते है, संकट हरने वाले को हनुमान कहते हैं॥ और देवता चित्त ना धरही, हनुमंत से सर्व सुख करही। संकट कटे मिटे सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बल बीरा। दुनिया रचने वाले को भगवान कहते हैं, संकट हरने वाले को हनुमान कहते हैं॥ स्वर: लखबीर सिंह लक्खा Duniya rachane vaale ko bhagavaan kahte hain, aur sankat harane vaale ko hanumaan kahte hain. ho jaate

भजन: मेरा संकट कटने वाला है बजरंग बलि की किरपा से - Mera sankat katne vala hai bajrang bali ki kirpa se

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मेरा संकट कटने वाला है, बजरंग बलि की किरपा से, मेरा संकट कटने वाला है। बजरंग बलि की किरपा से, अब छप्पर फटने वाला है। मेरी अर्जी अटकी पड़ी वहाँ, अब जाकर उसकी नजर पड़ी। जल्दी से जल्दी मेरा भी, अब सौदा पटने वाला है। बजरंग बली की किरपा से, मेरा संकट कटने वाला है। मेरी अर्जी पढ़कर धीरे से, मेरे हनुमान जी मुस्काये। मैं समझ गया अब मेरा भी, मेरा नसीब बदलने वाला है। बजरंग बली की किरपा से, मेरा संकट कटने वाला है। भक्ति और शक्ति हाथो में, और दौलत इनके चरणों में। सर रख दिया इनकी चोखट पर, मुझे सबकुछ मिलने वाला है। बजरंग बली की किरपा से, मेरा संकट कटने वाला है। वो सुखी रहेगा जीवन भर, और मौज करेगा घडी घडी। हनुमान के चरणों में रहकर, जो इसको रटने वाला है। बजरंग बली की किरपा से, मेरा संकट कटने वाला है। Mera sankat katane vaala hai, bajarang bali kee kirapa se, mera sankat katane vaala hai. bajarang bali kee kirapa se, ab chhappar phatane vaala hai. meree arjee atakee padee vahaan, ab jaakar usakee najar padee.

भजन: मंगल मूरति मारुतनंदन भक्तविभूषण जय हनुमान - Mangal murati maaruti nanadan bhakt vibhushan jai hanumaan

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मनोजवम मारुत तुल्य वेगम, जितेंद्रियम बुद्धिमतां वरिष्ठं वातात्मजं वानारायूथ मुख्यम, श्रीराम दूतं शरणम प्रपद्धे || मंगल मूरति,  मारुतनंदन,  भक्तविभूषण जय हनुमान सकल अमंगल, मूल निकंदन,  संकट मोचन जय हनुमान || (जय हनुमान  - जय हनुमान ) - २ (जय हनुमान -जय हनुमान,   जय हनुमान -जय हनुमान) - २ पवन तनय संतन हितकारी, ह्रदय बिराजत अवधविहारी राम लखन सीता श्री चरण में,  भक्तविभूषण जय हनुमान || जय हनुमान ... मातुपिता,  गुरु,  गनपति,  सारद,  सिवा समेत संभु सुख नारद राम लखन सीता श्री चरण में,  भक्तविभूषण जय हनुमान || जय हनुमान ... चरन बंदी बिनबौ सब काहूँ, देहु रामपद नेह निबाहूं राम लखन सीता श्री चरण में,  भक्तविभूषण जय हनुमान || जय हनुमान ... बंदौ राम लखन बैदेही, जे तुलसी के परम सनेही राम लखन सीता श्री चरण में,  भक्तविभूषण जय हनुमान || जय हनुमान ... गीत  : संत तुलसी दास संगीत : अरुण सराफ Manojavam maarut tuly vegam, jitendriyam buddhimataan varishthan vaataatmajan vaanaaraayooth mukhyam, shreeraam dootan sharanam prapaddhe Mangal moorati, maarutanandan, bhakt