भजन: कहानी वैष्णो रानी की - Kahani Vaishno Rani Ki
कहानी वैष्णो रानी की, कहानी वैष्णो रानी की,
तीन पिंडी माँ शेरावाली, कथा भवानी की,
कहानी वैष्णो रानी की...
जम्मू कटरा में रहते, थे माँ के भक्त निराले,
नाम श्रीधर था उनका, मन के थे भोले भाले ।
रात दिन सांझ सवेरे करते मईया की पूजा,
माँ की सेवा से बढ़कर और कोई काम ना दूजा ।
माता के चरणों में अर्पण, पूरी जिंदगानी की,
कहानी वैष्णो रानी की...
कन्या के रूप में माँ ने दिया श्रीधर को दर्शन,
करो भंडारा माँ का, दे आओ सबको निमंत्रण,
सुनी आज्ञा जो माँ की, कहा श्रीधर ने माँ से,
आयोजन भंडारे का करूंगा बोलो कहाँ से ।
मैं निर्धन, औकात नहीं भंडारा कराने की,
कहानी वैष्णो रानी की...
श्रीधर की लेने परीक्षा मन में ठाना भैरव ने,
साधू संतो की टोली चला लेकर वो संग में ।
सुनले मायावी कन्या, न तेरी माया चलेगी,
हाथों से भैरवनाथ के आज तू बच ना सकेगी ।
चला पकड़ने कन्या को, उसने नादानी की,
कहानी वैष्णो रानी की...
वीर लांगुर-भैरव में छिड़ा संग्राम भारी,
एक महा-बलशाली, दूजा योगी तपधारी ।
क्रोध में भरकर वैष्णो माँ ने त्रिशूल चलाया,
एक ही क्षण में धड़ से शीश को काट गिराया ।
शीश भैरव का बोल पड़ा, जय जय माँ भवानी की,
कहानी वैष्णो रानी की...
तेरी पूजा बिन भैरव मेरी पूजा है अधूरी,
तेरे दर्शन के बाद ही ये यात्रा होगी पूरी ।
तीन पिंडी रूपों में मैं यहाँ वास करुँगी,
सरस्वती काली लक्ष्मी संग में निवास करुँगी ।
सौरभ मधुकर अमर कथा ये माँ वरदानी की,
कहानी वैष्णो रानी की...
स्वर: सौरभ मधुकर
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