भजन: जय जय गिरिराज किशोरी - Jai Jai Giriraj Kishori
जय जय गिरिबरराज किशोरी ।
जय महेस मुख चंद चकोरी ॥
जय गजबदन षडानन माता ।
जगत जननि दामिनी दुति गाता ॥
देवी पूजि पद कमल तुम्हारे ।
सुर नर मुनि सब होहिं सुखारे ॥
मोर मनोरथ जानहु नीकें ।
बसहु सदा उर पुर सबही कें ॥
कीन्हेऊँ प्रगट न कारन तेहिं ।
अस कहि चरन गहे बैदेहीं ॥
बिनय प्रेम बस भई भवानी ।
खसी माल मुरति मुसुकानि ॥
सादर सियँ प्रसादु सर धरेऊ ।
बोली गैरी हरषु हियँ भरेऊ ॥
सुनु सिय सत्य असीस हमारी ।
पूजिहि मन कामना तुम्हारी ॥
नारद बचन सदा सूचि साचा ।
सो बरु मिलिहि जाहिं मनु राचा ॥
मनु जाहिं राचेउ मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सांवरो ।
करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो ॥
एही भाँती गौरी असीस सुनी सिय सहित हियँ हरषीं अली ।
तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली ॥
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