भजन: घनन घनन घन घंटा वाजे चामुंडा के द्वार पर - Ghanan Ghanan Ghan Ghanta Baje Chamunda Ke Dwar Par
रुकी जहां पर काल रात्रि चण्ड मुण्ड को मारकर।
घनन घनन घन घंटा वाजे...
निर्मल जल की धारा में पहले आकर इश्नान करो,
ज्योत जलाकर मन मंदिर में अंबे माँ का ध्यान धरो।
वरदानी से मांगों वर तुम दोनों हाथ पसार कर,
रुकी जहां पर काल रात्रि चण्ड मुण्ड को मारकर।
घनन घनन घन घंटा वाजे...
शक्ति पीठ यही माँ चलका देव भूमि भी प्यारी है,
क्रोध रूप जहां चामुंडा का खप्पर संग कटारी है।
दुष्टों की ली बलि जहां पर भागे पापी हारकर,
रुकी जहां पर काल रात्रि चण्ड मुण्ड को मारकर।
घनन घनन घन घंटा वाजे...
ब्रह्मा वेद सुनाएं इनको विष्णु शंख वजाते हैं,
शंकर डमरू वजा वजा कर माँ की महिमा गाते हैं।
जय माता की गूँज रही हैं नारद वीणा तार पर,
रुकी जहां पर काल रात्रि चण्ड मुण्ड को मारकर।
घनन घनन घन घंटा वाजे...
स्वर: नरेन्द्र चंचल
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