भजन: मैं बरसाने की छोरी ना कर मोते बरजोरी - Main Barsane Ki Chori Na Kar Mote Barjori
तू कारो और मैं गोरी, अपनों मेल नहीं
मैं तोसे बांधू प्रीत की डोरी, करता खेल नहीं
शुक्र करो की पड़े नहीं यशोदा मैया के डंडे
एक डांट में है जाते अरमान तुम्हारे ठन्डे
मैं नन्द बाबा का लाला मैं तो ना डरने वाला
तेरा पड़ा हैं मोसे पाला करता खेल नहीं
मैं गुजरी तू गवाला, अपनों मेल नहीं
मैं बरसाने की छोरी...
जहाँ जहाँ मैं जाती हूँ क्यों पीछे पीछे आए
तेरो मेरो मेल नहीं, यह कौन तुम्हे समझाए
तू मुझको ना पहचानी, पिया घाट घाट का पानी
मैं दरिया हूँ तूफानी करता खेल नहीं
अरे ना कर मोसू छैतानी, अपनों मेल नहीं
मैं बरसाने की छोरी...
ऐसी वैसी नार नहीं क्यों मोपे डोरे डाले
बीच डगर में छोड़ सतानो, ओ गोकुल के ग्वाले
मेरा रोज का आना जाना, नरसी का माखन खाना
‘शर्मा’ है श्याम दीवाना करता खेल नहीं
अरे तू गोकुल मैं बरसानो, अपनों मेल नहीं
मैं बरसाने की छोरी...
।। जय श्री राधे ।।

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