श्री काल भैरव जी की आरती - Shri Kal Bhairav Ji Ki Aarti
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैंरव देवा ।
जय काली और गौरा देवी कृत सेवा ॥
तुम्हीं पाप उद्धारक दुख सिंधु तारक ।
भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक ॥
वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी ।
महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयकारी ॥
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होंवे ।
चौमुख दीपक दर्शन दुख सगरे खोंवे ॥
तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी ।
कृपा करिए भैरव करिए नहीं देरी ॥
पांव घुंघरू बाजत अरु डमरू डमकावत ।
बटुकनाथ बन बालक जन मन हर्षावत ॥
बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावें ।
कहें धरणीधर नर मनवांछित फल पावें ॥
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