नरेंद्र मोदी जी के बचपन का किस्सा 'जब गाय ने छोड़ दिया शरीर...' - An Anecdote of The Childhood of Narendra Modi
साबरमती आश्रम(अहमदाबाद) में गौरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा को लेकर नरेंद्र मोदी जी
अपनी बात रखते हुए भावुक हो गए। उन्होंने अपने बचपन का एक किस्सा सुनाकर गौ-रक्षकों को अहिंसा का संदेश दिया। मोदी जी ने कहा- ''देशवासियों से आग्रह
करता हूं कि हिंसा समस्याओं का समाधान नहीं है। महात्मा गांधी-विनोबा भावे
जीवनभर गौरक्षा के लिए लड़ते रहे। लेकिन क्या हमें किसी इंसान को मारने का
हक मिल जाता है? क्या ये गौ-भक्ति है? क्या ये गौ-रक्षा है? ये गांधीजी,
विनोबाजी का रास्ता नहीं हो सकता, जिन्होंने गौ-रक्षा के लिए अपना सारा
जीवन समर्पित कर दिया।''
मोदी जी ने सुनाई गाय की कहानी...
मोदी जी ने कहा- ''मेरे जीवन की एक घटना है, जिसे मैं लिखना चाहता था। मैं
बालक था। गांव में मेरा घर एक छोटी-सी गली में है। हमारे घर से सामने एक
परिवार था, जो मजदूरी करता था। उनकी कोई संतान नहीं थी। परिवार में इसे
लेकर तनाव रहता था। बहुत देर में उनके यहां संतान हुई।''
''मोहल्ले में बहुत संकरी गली थी। एक गाय रोज घरों के सामने आती थी। एक बार अचानक कोई हलचल हो गई। गाय दौड़ते-दौड़ते उस घर के पास पहुंची। बच्चा दौड़ते हुए गाय के पैरों के नीचे आ गया। इतने साल बाद कोई बच्चा पैदा हुआ और उसकी मौत हो गई।''
''आप सोच सकते हैं कि उस परिवार पर क्या बीती होगी। लेकिन दूसरे दिन सुबह ही वो गाय उनके घर के सामने खड़ी हो गई। किसी परिवार से रोटी नहीं खाई। वो उनके घर जाकर खड़ी हो गई। वहीं खड़ी रही। उसके आंसू नहीं रुके। पश्चाताप के लिए 5 दिन वहां बिना खाए-पिये खड़ी रही।''
''परिवार को बेटे का दुख था, लेकिन गाय कई दिन तक वहीं खड़ी रही। उसके आंसू नहीं रुके। मोहल्ले के लोग और परिवार के लोग कोशिश करते रहे, लेकिन गाय ने अपना संकल्प नहीं छोड़ा। जिस बालक की मौत उसके पैरों के नीचे हुई, इस पीड़ा में उस गाय ने शरीर छोड़ दिया। ये मुझे याद भी है।''
देश के हालात पर क्या बोले मोदी जी?
1. अस्पतालों को आग लगा देते हैं
मोदी जी ने कहा- ''देशवासियों से मन की एक बात कहना चाहता हूं। मैं देश के
मौजूदा माहौल की ओर अपनी पीड़ा और नाराजगी व्यक्त करता हूं। ये देश ऐसा है
जहां हम मोहल्ले के कुत्तों को भी रोटी देते हैं और सुबह नदी-तालाब किनारे
मछलियों को दाना खिलाने की परंपरा रखते हैं।''
''हम अस्पताल में कोई पेशेंट बचा न पाएं, विफल हो जाएं, दवाई कारगर न मिले और मरीज की मौत हो जाए तो क्या अचानक परिवारजन अस्पतालों को आग लगा देंगे और डॉक्टरों से मारपीट करेंगे। हम क्या कर रहे हैं? इन चीजों को बढ़ावा मिल रहा है। मौजूदा हालात पर पीड़ा होती है।"
2. एक्सीडेंट होने पर गाड़ियां जला देते हैं
"कहीं दो वाहन टकरा गए। एक की मौत हो जाए तो हम आमने-सामने हो जाते हैं। गाड़ियां जला देते हैं।"
3. गाय के नाम इंसान को मार देंगे?
मोदी जी ने कहा- ''गौ-भक्ति करने वाला गांधीजी-विनोबाजी से बड़ा कोई नहीं हो
सकता। हमें उन्हीं की राह पर चलना पड़ेगा। विनोबाजी जीवनभर गौ-रक्षा के लिए
अपने आप को आहूत करते रहे। सौभाग्य था कि विनोबा जी के दर्शन करने को मिले।
वे शब्दों की बड़ी ताकत रखते थे। वे उस समय की सरकारों के खिलाफ गौ-रक्षा
के लिए लड़ते रहे।''
''क्या गाय के नाम पर हमें किसी इंसान को मारने का हक मिल जाता है? क्या ये गौ-भक्ति है? क्या ये गौ-रक्षा है? ये गांधीजी, विनोबाजी का रास्ता नहीं हो सकता। अहिंसा हम लोगों का जीवन धर्म रहा है। हम कैसे आपा खो रहे हैं? गाय के नाम पर इंसान को मार दें?''
पिछले साल दो बार मोदी जी ने गौ-रक्षकों का जिक्र किया था
पिछले साल अगस्त में मोदी जी ने अपने टाउनहॉल में कहा था- ''कभी-कभी गौ-रक्षा
के नाम पर कुछ लोग दुकानें खोलकर बैठ जाते हैं। मुझे इतना गुस्सा आता
है...। सचमुच के अगर वे गौ-सेवक हैं तो प्लास्टिक बंद करवा दें। गायें कत्ल
से ज्यादा प्लास्टिक से मर रही हैं।''
24 घंटे बाद उन्होंने फिर कहा- ''कुछ लोग समाज को तहस-नहस करने पर लगे हैं। वे हिंदुस्तान की एकता को तोड़ने पर लगे हैं। कुछ मुट्ठीभर लोग गौ-रक्षा के नाम पर समाज में तनाव लाने की कोशिश कर रहे हैं। किसान, कृषि और गांव के बचाने के लिए गौ-रक्षकों से सावधान हो जाएं। गौ-रक्षा के निर्देश संविधान में दिए गए हैं। उस हिसाब से गौ-रक्षा करें।''
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