यहां है रावण के मूत्र से बना तालाब - Here is Urine Pond of Raavan
रावण भगवान भोलेनाथ का भक्त था यह तो सभी जानते हैं लेकिन रावण की भक्ति बड़ी ही विचित्र थी। वह भगवान भोलेनाथ को अपनी भक्ति की सीमा में बांधकर रखना चाहता था। इसके लिए रावण ने कई उपाय किए पर भगवान भोलेनाथ भला एक के होकर कैसे रह सकते थे इसलिए रावण का हर दांव खाली गया।
जब रावण निराश होकर अपने सिर की बलि चढ़ाने लगा तो शिव प्रकट हुए और रावण के साथ लंका जाने के लिए तैयार हो गए। लेकिन शर्त रख दी कि मैं तुम्हारे साथ लिंग रूप में चलूंगा। यह लिंग तुम जहां रख दोगे मैं वहीं पर विराजमान हो जाउंगा।
रावण को अपने बाहु बल का बड़ा अभिमान था उसने सोचा कि शिवलिंग कितना भारी होगा इसे उठाकर में सीधा लंका ले जाऊंगा, यही सोचकर इसने शिव जी की शर्त झट से स्वीकार कर ली।
भगवान विष्णु ने देखा कि रावण शिव जी को लेकर लंका जा रहा है तो उन्हें जगत की चिंता सताने लगी। भगवान विष्णु बालक के रूप में रावण के सामने प्रकट हो गए। इसी समय रावण को लघु शंका लगी और उसने बालक बने विष्णु से अनुरोध किया कि शिवलिंग को अपने हाथों में थाम कर रखे, जब तक कि वह लघु शंका करके आता है।
रावण के पेट में गंगा समा गयी थी इसलिए वह लंबे समय तक मूत्र विसर्जन करता रहा। इसी बीच बालक बने विष्णु ने शिवलिंग को भूमि पर रख दिया और शिवलिंग वहीं स्थापित हो गया। रावण जब मूत्र त्याग करने के बाद लौटा तो भूमि पर रखे शिवलिंग को देखकर बालक पर बहुत क्रोधित हुआ। लेकिन वह कर भी क्या सकता था।
रावण ने शिवलिंग को उखाड़ने का पूरा प्रयास किया लेकिन वह टस से मस नहीं हुआ। क्रोध में भरकर रावण ने शिवलिंग के पैर पर एक लात मारी जिससे शिवलिंग भूमि में धंस गया। यह शिवलिंग झारखंड में स्थित बाबा बैद्यनाथ हैं।
मंदिर के पास एक तालाब है जिसमें तीर्थयात्री स्नान करके बाबा को जल चढ़ाते हैं। इसी तालाब के पास दूसरा तालाब है जिसमें कोई स्नान या आचमन नहीं करता है क्योंकि इसे रावण के मूत्र से बना तालाब माना जाता है।
Comments
Post a Comment