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भजन: आज्ञा नहीं है माँ मुझे किसी और काम की - Aagya nahi hai maa mujhe kisi aur kaam ki

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-: दोहा :- न पल मे यु महान न होते, गदा हाथ लिये बलवान न होते। न विजय श्रीराम की होती, अगर पवनपुत्र हनुमान न होते।। आज्ञा नहीं है माँ मुझे, किसी और काम की, वरना भुजाएँ तोड़ दू, सौगंध राम की। लंका पाताल ठोक दू, रावण के शान की, जिन्दा जमी मे गाढ़ दू, सौगंध राम की। ना झूठी शान करू, ना अभिमान करू, प्रभु का ध्यान धरु, राम गुण गान करू। सच्चे दया के धाम है वो, रघुकुल की शान है, बल हु मै बल के धाम है वो, सौगंध राम की। विश्वास करलो माँ मेरी, आयेंगे राम जी, रावण को मार कर तुम्हे, ले जायेंगे राम जी। तब तक न खोना धैर्य माँ, तुम्हे सौगंध राम की। रावण को मार कर प्रभु , बैठे विमान पर, बोली यु सीता कर कृपा, अंजनी के लाल पर। लहरी कहा जो कर दिया, सौगंध राम की। -: Doha :- na pal me yu mahaan na hote, gada haath liye balavaan na hote. na vijay shreeraam kee hotee, agar pavanaputr hanumaan na hote. aagya nahin hai maan mujhe, kisee aur kaam kee, varana bhujaen tod doo, saugandh raam kee. lanka paataal thok doo, raavan ke shaan kee, jinda jamee me gaadh doo, sau...

यहां है रावण के मूत्र से बना तालाब - Here is Urine Pond of Raavan

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रावण भगवान भोलेनाथ का भक्त था यह तो सभी जानते हैं लेकिन रावण की भक्ति बड़ी ही विचित्र थी। वह भगवान भोलेनाथ को अपनी भक्ति की सीमा में बांधकर रखना चाहता था। इसके लिए रावण ने कई उपाय किए पर भगवान भोलेनाथ भला एक के होकर कैसे रह सकते थे इसलिए रावण का हर दांव खाली गया। जब रावण निराश होकर अपने सिर की बलि चढ़ाने लगा तो शिव प्रकट हुए और रावण के साथ लंका जाने के लिए तैयार हो गए। लेकिन शर्त रख दी कि मैं तुम्हारे साथ लिंग रूप में चलूंगा। यह लिंग तुम जहां रख दोगे मैं वहीं पर विराजमान हो जाउंगा। रावण को अपने बाहु बल का बड़ा अभिमान था उसने सोचा कि शिवलिंग कितना भारी होगा इसे उठाकर में सीधा लंका ले जाऊंगा, यही सोचकर इसने शिव जी की शर्त झट से स्वीकार कर ली। भगवान विष्णु ने देखा कि रावण शिव जी को लेकर लंका जा रहा है तो उन्हें जगत की चिंता सताने लगी। भगवान विष्णु बालक के रूप में रावण के सामने प्रकट हो गए। इसी समय रावण को लघु शंका लगी और उसने बालक बने विष्णु से अनुरोध किया कि शिवलिंग को अपने हाथों में थाम कर रखे, जब तक कि वह लघु शंका करके आता है। रावण के पेट में गंगा समा गयी थी इसलिए ...