भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी - Lord Vishnu And Maa Laxmi (प्रभु की कृपा)

एक बार भगवान विष्णु जी शेषनाग पर बैठे बैठे बोर हो गये तो उन्होने धरती पर घुमने का विचार मन में किया। वैसे भी कई साल बीत गये थे धरती पर आये और वह अपनी यात्रा की तैयारी में लग गये। स्वामी को तैयार होता देख कर लक्ष्मी मां ने पुछा- "आज सुबह सुबह कहा जाने की तैयारी हो रही है?" विष्णु जी ने कहा- "हे लक्ष्मी, मैं धरती लोक पर घुमने जा रहा हूँ।" 

कुछ सोच कर लक्ष्मी मां ने कहा- "हे देव, क्या मैं भी आप के साथ चल सकती हूँ?" भगवान विष्णु ने दो पल सोचा फ़िर कहा- "एक शर्त पर, तुम मेरे साथ चल सकती हो। तुम धरती पर पहुंच कर उत्तर दिशा की ओर बिलकुल मत देखना।" इस के साथ ही माता लक्ष्मी ने हाँ कह कर अपनी बात मनवाली। 

भगवान-विष्णु-और-माँ-लक्ष्मी-lord-vishnu-and-maa-laxmi-prabhu-ki-kripa-religious-story-dharm-gyaan

सुबह सुबह मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु धरती पर पहुच गये। अभी सुर्य देवता निकल रहे थे, रात बरसात हो कर हटी थी। चारो ओर हरियाली ही हरियाली थी। उस समय चारो ओर बहुत शान्ति थी और धरती बहुत ही सुन्दर दिख रही थी। मां लक्ष्मी मन्त्र मुग्ध हो कर धरती को देख रही थी और भुल गई कि पति को क्या वचन दे कर आई है? चारों ओर देखती हुयी कब उत्तर दिशा की ओर देखने लगी पता ही नही चला। 

उत्तर दिशा में मां लक्ष्मी को एक बहुत ही सुन्दर बगीचा नजर आया। उस तरफ़ से भीनी भीनी खुशबु आ रही थी और बहुत ही सुन्दर सुन्दर फ़ुल खिले थे। यह एक फूलों का खेत था। मां लक्ष्मी बिना सोचे समझे उस खेत में गई ओर एक सुंदर सा फूल तोड लाई। लेकिन यह क्या जब मां लक्ष्मी भगवान विष्णु के पास वापिस आई तो भगवान विष्णु की आंखो में आंसु थे। भगवान विष्णु ने मां लक्ष्मी को कहा कि कभी भी किसी से बिना पुछे उस का कुछ भी नही लेना चाहिये और साथ ही अपना वचन भी याद दिलाया।

मां लक्ष्मी को अपनी भूल का पता चला तो उन्होने भगवान विष्णु से इस भूल की माफ़ी मांगी। भगवान विष्णु ने कहा- "आप ने जो भूल की है उसकी सजा तो आपको जरुर मिलेगी। यह एक प्रकार की चोरी है इसलिए जिस माली के खेत से आपने बिना पूछे फूल तोडा है अब तुम तीन साल तक उस माली के घर नौकर बन कर रहो। उसके बाद मैं तुम्हे बैकुण्ठ में वापिस बुलाऊंगा। मां लक्ष्मी ने चुपचाप सर झुका कर हां कर दी।

मां लक्ष्मी एक गरीब औरत का रुप धारण करके उस खेत के मालिक के घर गई। घर क्या एक झोपडा था और मालिक का नाम माधव था। माधब की बीबी, दो बेटे ओर तीन बेटिया थी। सभी उस छोटे से खेत में काम करके किसी तरह से गुजारा करते थे। 

मां लक्ष्मी जब एक साधारण और गरीब औरत बन कर माधव के झोपडे पर गई तो माधव ने पुछा- "बहन तुम कौन हो और तुम्हे क्या चाहिये?" तब मां लक्ष्मी ने कहा- "मैं एक गरीब औरत हूँ। मेरी देख भाल करने वाला कोई नही। मैंने कई दिनों से खाना भी नही खाया। मुझे कोई भी काम दे दो। मैं तुम्हारे घर का काम भी कर दिया करुँगी, बस मुझे अपने घर के एक कोने में आसरा दे दो।"

माधव बहुत ही अच्छे दिल का मालिक था। उसे दया आ गई। उसने कहा- "बहन मैं तो बहुत ही गरीब हूँ। मेरी कमाई से मेरे घर का खर्च मुश्किल से चलता है, लेकिन अगर मेरी तीन की जगह चार बेटियां होती तो भी मुझे गुजारा करना था। अगर तुम मेरी बेटी बन कर और जैसा रुखा सुखा हम खाते है उस में खुश रह सकती हो तो बेटी अन्दर आ जाओ।"

माधव ने मां लक्ष्मी को अपने झोपडे में शरण दे दी और मां लक्ष्मी तीन साल उस माधव के घर पर नौकरानी बन कर रही। जिस दिन मां लक्ष्मी माधव के घर आई थी उससे दुसरे ही दिन माधव को फूलों से इतनी आमदनी हुई कि शाम को एक गाय खरीद ली। फ़िर धीरे धीरे माधव ने काफ़ी जमीन खारीद ली। सभी ने अच्छे अच्छे कपडे भी बनबा लिये। बेटियो और बीबी ने गहने भी बनबा लिये और मकान भी बहुत बड़ा बनवा लिया था।

माधव हमेशा सोचता था कि मुझे यह सब इस महिला के आने के बाद मिला है, इस बेटी के रुप में मेरी किस्मत आ गई है। अब २-५ साल बीत गये थे, लेकिन मां लक्ष्मी अब भी घर में और खेत में काम करती थी। एक दिन माधव जब अपने खेतो से काम खत्म करके घर आया तो उसने अपने घर के सामने द्वार पर एक देवी स्वरुप गहनो से लदी एक औरत को देखा। ध्यान से देख कर पहचान गया अरे यह तो मेरी मुहं बोली चौथी बेटी यानि वही औरत है और पहचान गया कि यह तो मां लक्ष्मी है।

अब तक माधव का पूरा परिवार बाहर आ गया था। सब हैरान हो कर मां लक्ष्मी को देख रहे थे। माधव बोला- "हे मां, हमे माफ़ कर दो। हम ने आपसे अंजाने में घर और खेत का काम करवाया है। यह कैसा अपराध हो गया। हे मां, हम सब को माफ़ कर दो।

मां लक्ष्मी मुस्कुराई ओर बोली- "माधव तुम बहुत ही अच्छे और दयालु व्यक्ति हो। तुमने मुझे अपनी बेटी की तरह रखा, अपने परिवार के सदस्य की तरह रखा। इसके बदले मैं तुम्हे यह वरदान देती हूँ कि तुम्हारे पास कभी भी खुशियों की और धन की कमी नही रहेगी। तुम्हे सारे सुख मिलेगे जिसके तुम हकदार हो। और फ़िर मां अपने स्वामी के द्वारा भेजे रथ में बैठकर बैकुण्ठ चली गई।

मित्रों, इस कहानी में मां लक्ष्मी का संदेशा है कि जो लोग दयालु और साफ़ दिल के होते है मैं वही निवास करती हूँ। हमें सभी की मदद करनी चाहिये और गरीब से गरीब को भी तुच्छ नही समझना चाहिये। 

शिक्षा: इस कहानी में लेखक यह कहना चाहता है कि एक छोटी सी भूल पर भगवान ने मां लक्ष्मी को सजा दे दी हम तो बहुत ही तुच्छ है, फ़िर भी भगवान हमे अपनी कृपा मे रखते है। हमें भी हर इन्सान के प्रति दयालुता दिखानी और बरतनी चाहिए। यह दुख सुख हमारे ही कर्मो का फ़ल है।

।। जय माँ लक्ष्मी, जय नारायण ।।





Comments

Popular posts from this blog

भजन: आरती जगजननी मैं तेरी गाऊं - Aarti Jagjanni Main Teri Gaaun

श्री शिवाष्टक - Shri Shivashtak in Hindi

भजन: बजरंग बाला जपूँ थारी माला - Bajrang bala japu thari mala

श्री शिव प्रातः स्मरण स्तोत्रम् - Shri Shiv Pratah Smaran Stotram in Hindi

श्री गीता सार - Shri Geeta Saar in Hindi