भजन: सुबह-सुबह के सात बजे - Subah Subah Ke Saat Baje
सुबह-सुबह के सात बजे,
तुम आओ गोवर्धन नाथ जी ।
मंगला के तुम दर्शन कर लो,
बैठे हैं श्री नाथ जी ।
पौने नौ श्रृंगार के दर्शन,
बड़े प्रेम से मिलते है ।
जिसने दर्शन किए प्रेम से,
भाग्य उसी के खुलते हैं ।
इस दर्शन को मन म्हारो तरसे,
कभी मत पूछो बात जी ।
मीठे-मीठे भोजन से देखो,
सजकर आई थाली है ।
जीमो म्हारा श्याम धणी,
थांकी महिमा बड़ी निराली है ।
राजभोग में नंदजी का लाल,
जीमें केशरिया भात जी ।
चार बजे उत्थापन का,
दर्शन बड़ा ही प्यारा है ।
जब चाहे जब मिलो प्रभु से,
खुला हुआ ये द्वार है ।
भोग के दर्शन करो शाम को,
और नमलो माथ जी ।
रात के दर्शन करो शयन के,
करे प्रभु विश्राम है ।
राधे-कृष्णा रटो हमेशा,
इसी में चारो धाम हैं ।
मीरा दासी शरण तुम्हारी,
खड़ी है जोड़े हाथ जी ।
मंगला के तुम दर्शन कर लो,
बैठे है श्रीनाथ जी ।
Comments
Post a Comment