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कृष्ण बलराम का मथुरा गमन - Krishna Balram Goes to Mathura (व्याकुल हो उठीं गोपियां)

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कंस के आदेश पर अक्रूर जी कृष्ण और बलराम को लेने के लिए ब्रज में आये। गोपियों सहित ब्रजवासियों के लिए आज की रात्रि बड़ी कठोर है। अक्रूर जी अपने नाम के विपरीत क्रूर बनकर प्रातःकाल श्याम सुंदर व बलदाऊ को लेकर जाएंगे। गोपियों को यह रात्रि कालरात्रि के समान प्रतीत हो रही है। कल तक जिस नंदभवन में हँसी-ठिठोली के स्वर गुंजायमान होते थे, आज वहां सन्नाटा पसरा हुआ है।  जहाँ प्रतिदिन महल में दीपमालिका सहस्त्र दीपों से महल को प्रकाशमान करती थी वहां आज अन्धकार व्याप्त है। पूर्णिमा का चाँद भी घटाओं में अपने आंसू बहाने को मजबूर है। उसे डर है कहीं कृष्ण उन्हें रोते हुए न देख लें। वातावरण में प्रवाहित मंद-सुगन्धित समीर शांत है। लता-पता, पुष्प, नर-नारी, गौ-धन, पशु-पक्षी घनश्याम के वियोग का सुनकर व्यथित हैं।  यमुना, पनघट, सखियाँ उस रात्रि के बीत जाने का सोचती वहीँ प्रातः उदय होने वाले सूर्य को कैसे देख पाएंगी यह सोचकर मन के अंदर ही अंदर रुदन करने लगती। कृष्ण से वियोग नहीं चाहने वाला प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि अनंतकाल तक उस रात्रि का अंत नहीं हो पाए। यह सब प्रेम के ही अधीन है। जो...

आखिर क्यों हुआ भगवान श्री कृष्ण और शिव जी का भयंकर युद्ध - Shri Krishna and Shiva Ji Frightful War

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दानवीर दैत्यराज बलि के सौ प्रतापी पुत्र थे। उनमें सबसे बड़ा वाणासुर था। वाणासुर ने भगवान शंकर की बड़ी कठिन तपस्या की। शंकर जी ने उसके तप से प्रसन्न होकर उसे सहस्त्र बाहु तथा अपार बल दे दिया। उसके सहस्त्र बाहु और अपार बल के भय से कोई भी उससे युद्ध नहीं करता था। इसी कारण से वाणासुर अति अहंकारी हो गया।  बहुत काल व्यतीत हो जाने के पश्चात् भी जब उससे किसी ने युद्ध नहीं किया तो वह एक दिन शंकर भगवान के पास आकर बोला, "हे चराचर जगत के ईश्वर! मुझे युद्ध करने की प्रबल इच्छा हो रही है किन्तु कोई भी मुझसे युद्ध नहीं करता। अतः कृपा करके आप ही मुझसे युद्ध करिये।" उसकी अहंकारपूर्ण बात को सुन कर भगवान शंकर को क्रोध आया किन्तु वाणासुर उनका परम भक्त था इसलिये अपने क्रोध का शमन कर उन्होंने कहा, "रे मूर्ख! तुझसे युद्ध करके तेरे अहंकार को चूर-चूर करने वाला उत्पन्न हो चुका है। जब तेरे महल की ध्वजा गिर जावे तभी समझ लेना कि तेरा शत्रु आ चुका है।" वाणासुर की उषा नाम की एक कन्या थी। एक बार उषा ने स्वप्न में श्री कृष्ण के पौत्र तथा प्रद्युम्न के पुत्र अनिरुद्ध को देखा और उस पर मोह...