नारी का सम्मान - Respect of Women (Poem)

नारी-का-सम्मान-naari-ka-samman-respect-or-women-nice-poem

भूल से मत कीजिये, नारी का अपमान ।
नारी जीवन दायिनी, नारी है वरदान ।।

माँ बनकर देती जनम, पत्नी बन संतान ।
जीवन भर छाया करे, नारी वृक्ष समान ।।

नारी भारत वर्ष की, रखे अलग पहचान ।
ले आई यमराज से, वापस पति के प्रान ।।

नारी कोमल निर्मला, होती फूल समान ।
वक्त पड़े तो थाम ले, बरछी तीर कमान ।।

नारी के अंतर बसे, सहनशीलता आन ।
ये है मूरत त्याग की, नित्य करे बलिदान ।।

नारी को मत मानिये, दुर्बल अबला-जान ।
दुर्गा काली कालिका, नारी है तूफ़ान ।।

युगों-युगों से ये जगत, ठहरा पुरुष प्रधान ।
कदम-कदम पर रोकता, नारी का उत्थान ।।

जितना गाओ कम लगे, नारी का गुणगान ।
जी चाहे कण-कण करे, नारी का सम्मान ।।



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