श्री गीता जी की आरती - Shri Geeta Ji ki Aarti in Hindi

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।। श्री गीता जी की आरती  ।।
।। Shri Geeta Ji ki Aarti ।।

जय गीता माता श्री जय गीता माता ।
सुख करनी दुःख हरनी तुमकों जग गाता ।।

टेक - जय गीता माता, मैया जय गीता माता ।
सुख करनी दुःख हरनी तुमकों जग गाता ।।

अज्ञान मोह ममता का छिन में नाश करे ।
सत्य ज्ञान का मन में तू प्रकाश करे ।।

शरण तेरी जो आवे तेरी मति ग्रहण करें ।
पाप ताप मिट जावें निर्भय भव सिंधु तरे ।।

रणक्षेत्र में अर्जुन जब शोकाधीर हुआ ।
कर्तव्य कर्म तज बैठा बहुत मलीन हुआ ।।

तब कृष्णचन्द्र के मुख से तुमने अवतार लिया ।
तत्व बात समझा कर उसका उद्धार किया।।

शरीर जन्मते मरते आत्मा अविनाशी ।
शरीर के दुःख व्यापे आत्मा सुख राशी ।।

अत: शरीर की ममता मन से त्याग करो ।
आत्मा ब्रह्म को  चिन्हों उससे अनुराग करो ।।

निष्काम कर्म नित्य करके जग का उपकार करो ।
फल वांछा को त्यागों सद्व्यवहार करो ।।

मन को वश में करके इच्छा त्याग करों ।
निष्काम जगत में रहकर हरि से अनुराग करो ।।

यह उपदेश जो तेरे नर मन में लावे ।
भगवान भवसागर से वह क्यों न तर जावे ।।





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